छत्तीसगढ़

महाकुंभ में ADM बनकर लिया VIP ट्रीटमेंट, कोरबा जिला प्रशासन ने किया खुलासा

कोरबा । प्रयागराज में जारी महाकुंभ 2025 में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। इसी दौरान एक हैरान करने वाला मामला सामने आया, जहां एक व्यक्ति ने खुद को कोरबा जिला का एडीएम (अपर जिला मजिस्ट्रेट) बताकर अस्पताल में वीआईपी इलाज लिया। जांच में पता चला कि कोरबा में “विक्रम सिंह जायसवाल” नाम का कोई एडीएम है ही नहीं।

घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, कोरबा का रहने वाला एक व्यक्ति, जो पेशे से वकील है, अपने परिवार के साथ प्रयागराज महाकुंभ घूमने पहुंचा था। वहां उसे अचानक हार्ट अटैक आ गया। अस्पताल में इलाज के दौरान उसने खुद को कोरबा जिले का एडीएम विक्रम सिंह जायसवाल बताया और विशेष चिकित्सा सुविधाएं हासिल कीं।

जब इस घटना की खबर अखबारों में प्रकाशित हुई, तो कोरबा जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की। कलेक्टर अजीत वसंत ने स्पष्ट किया कि कोरबा में “विक्रम सिंह जायसवाल” नाम का कोई भी एडीएम पदस्थ नहीं है। इसके साथ ही अधिवक्ता संघ ने भी इस व्यक्ति के पंजीकृत वकील होने से इनकार किया।

जांच में जुटा प्रशासन

प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। कलेक्टर ने कहा कि ऐसे झूठे दावे न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करते हैं, बल्कि संसाधनों के दुरुपयोग का भी कारण बनते हैं।

महाकुंभ में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल

महाकुंभ के पहले दिन ही सात श्रद्धालुओं को हार्ट अटैक आया, जिन्हें मेले के आपातकालीन अस्पताल में भर्ती कराया गया। केंद्रीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक मनोज कौशिक ने बताया कि अब तक मेले के अस्पताल में 42 हार्ट अटैक के मरीज पहुंचे हैं। इनमें से दो मरीजों को रेफर किया गया, जबकि बाकी का इलाज मेले के अस्पताल में ही हुआ और उन्हें बाद में डिस्चार्ज कर दिया गया।

फर्जीवाड़े से उठे सवाल

फर्जी एडीएम बनकर वीआईपी इलाज लेने का यह मामला प्रशासनिक तंत्र की चूक और सतर्कता की कमी को उजागर करता है। घटना के बाद प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने पर विचार कर रहा है।

क्या ऐसे फर्जीवाड़ों पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम बनाए जाएंगे? यह देखना बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button