छत्तीसगढ़

कृषि मंत्री रामविचार नेताम सम्मेलन का शुभारंभ करेंगे

रायपुर ।  इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 39वें स्थापना दिवस के अवसर कल 20 जनवरी से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर एवं राष्ट्रीय कृषि विकास सहकारी लिमिटेड, बरामूला (जम्मू-कश्मीर) के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल’’ विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। 20 से 22 जनवरी 2025 तक आयोजित इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ प्रदेश के कृषि विकास एवं किसान कलयाण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री  रामविचार नेताम करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक धरसींवा  अनुज शर्मा तथा विधायक रायपुर ग्रामीण  मोतीलाल साहू उपस्थित रहेंगे।

विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित ‘‘कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल’’ तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के 21 राज्यों के 400 से अधिक कृषि वैज्ञानिक एवं शोधार्थी शामिल होंगे। सम्मेलन में वैश्विक परिदृष्य में भूमि, जल तथा पर्यावरण के क्षेत्र में विद्यमान अवसरों एवं चुनौतियों पर विचार मंथन किया जाएगा तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग कर इनमें निरंतर होने वाली कमियों को सुधारने के रास्ते तलाशे जाएंगे। आने समय में कृषि फसलों जैसे खाद्यान, दलहन, तिलहन तथा अन्य आवश्यक उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा तथा इस संबध में नई रणनीति तैयार की जाएगी। सम्मेलन में संबंधित विषयों पर वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र तथा पोस्टर्स प्रस्तुत किये जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की स्थापना 20 जनवरी 1987 को हुई थी। इस विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ प्रदेश में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार की जिम्मेदारी दी गई है, जिसे विश्वविद्यालय अपने 28 कृषि महाविद्यालय, 4 कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, 1 खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, 08 अनुसंधान केन्द्र एवं 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से संचालित कर रहा है। विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में वर्तमान में लगभग 9000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिनमें स्नातक पाठ्यक्रमों में 2763, स्नात्तकोत्तर पाठ्यक्रमों में 500 तथा शोध पाठ्यक्रमों (पी.एच.डी.) में  115 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहें हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चात् 52 फसलों की लगभग 162 प्रजातियों का विकास किया गया है एवं कृषि से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए 100 से अधिक तकनीकें विकसित की गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button